लबोँ की मुस्कान

Yogesh kumar
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लबोँ की तेरे मुस्कान बन जाऊ ,
तू हो उदास तो मैं भी कैसे मुस्कुराऊ ।
रोशन  हो तू हर नई  सुबह की तरह ,
ओर मैं ढलती हुई शाम बन जाऊ ।

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