शायरी || सपनो को हकीकत बनाऊ भी तो कैसे.
सपनो को हक़ीकत बनाऊ भी तो कैसे ;
तू ही बता तेरे बिन मैं मुस्कुराऊँ भी तो कैसे ।
तू सोचता है की भुला दिया है हमने तुझे,
पर तू ही बता तुझे भुला सके जो दिल ऐसा ,
वो दिल में इस जिस्म में लाऊ भी तो कैसे ।
माना की तू मुझसे अब बेवफा हो गया,
पर तू ही बता तुझपर बेवफाई का इलज़ाम लगाऊ भी तो कैसे.
कोई शिकवा न ही कोई शिकायत है तुझसे,
पर तेरी इन यादों को इस दिल से मिटाऊ भी तो कैसे.
तूने भले ही कर दिया हो रुस्वा हमे अपनी ही महफ़िल में,
पर तुझे कर दू रुस्वा मैं तेरी ही महफ़िल में,
इतनी नफरत मैं तेरे लिए इस दिल में लाऊ भी तो कैसे.
सपनो को हक़ीकत बनाऊ भी तो कैसे,
तू ही बता तेरे बिन मैं मुस्कुराऊँ भी तो कैसे.
तू ही बता तेरे बिन मैं मुस्कुराऊँ भी तो कैसे...
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