अजीब सा रिश्ता

Yogesh kumar
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कुछ अजीब सा रिश्ता है तेरे मेरे दरमियान शायद,

तभी तो तेरी ख़ामोशी भी पढ़ लेता हूँ मैं ।

उदास तो तू होती है,

ओर आंखें अपनी नम कर लेता हूँ मैं ।

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