कुछ अजीब सा रिश्ता है तेरे मेरे दरमियान शायद,
तभी तो तेरी ख़ामोशी भी पढ़ लेता हूँ मैं ।
उदास तो तू होती है,
ओर आंखें अपनी नम कर लेता हूँ मैं ।
कुछ अजीब सा रिश्ता है तेरे मेरे दरमियान शायद,
तभी तो तेरी ख़ामोशी भी पढ़ लेता हूँ मैं ।
उदास तो तू होती है,
ओर आंखें अपनी नम कर लेता हूँ मैं ।
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