ख़्वाहिश

Yogesh kumar
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जाने क्यों उनके ख्यालों से हमें फुर्सत नहीं होती ,

चाहे दिन हो या रात उनकी यादें हमसे जुदा नहीं होती ।

हमने तो कभी सोचा ही नहीं उनकी ख़ुशी के सिवा कुछ और कभी ,

ओर वो कहते है की जाओ तुम क्या जानो इस तरह से कभी मोहब्बत नहीं होती ।

हमने कहा कि आप क्या जानो इस मोहब्बत को भला ,

झांककर देखो इस दिल में ,

जिसमे एक तेरे सिवा किसी और की सूरत नहीं होती ।

खवाहिश तो वही है बस एक तुझे पाने की ,

पर जाने क्यों एक मेरी ही ख़्वाहिश है जो पूरी नहीं होती ।

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